कल्ला जी राठौड़ और आलमजी
विवरण | कल्ला जी राठौड़ | आलमजी |
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अन्य नाम | चार हाथों वाला देवता, शेषनाग का अवतार, केहर, कल्याण, कमधज, बालब्रह्मचारी, योगी, भाथी खत्री (भाथीजी) | घोड़ा रक्षक देवता |
जन्म | 1544 ई., आश्विन शुक्ल अष्टमी, सामियाना गाँव (मारवाड़) | जैतमलोठ राठौड़ वंशीय, राड़धरा क्षेत्र (मालाणी, बाड़मेर) |
पिता/वंश | पिता: आससिंह राठौड़, दादा: राव अचला जी (मेड़ता शासक राव दूदा के पुत्र) | जैतमलोठ राठौड़ वंश |
संबंधी | बुआ: मीरा बाई, चाचा: जयमल राठौड़, गुरु: भैरवनाथ, कुल देवी: नागणेची | – |
मृत्यु | 23 फरवरी, 1568 ई., चित्तौड़गढ़ का तीसरा साका (अकबर के विरुद्ध) | – |
स्मारक/स्थान | छतरी: चित्तौड़गढ़ दुर्ग, सिद्ध पीठ: रनेला (सलूम्बर), मूर्ति: सामलिया (डूंगरपुर) में काले पत्थर की मूर्ति | आलमजी का धोरा (धोरी मन्ना, बाड़मेर), ढांगी (रेतीला टीला) |
मेला/पूजा | – | भाद्रपद शुक्ल दूज (द्वितीया) को मेला |
विशेष | मेवाड़ शासक: उदयसिंह (उस समय) | लोकदेवता के रूप में पूजा, घोड़ों की रक्षा के लिए प्रसिद्ध |